वास्तु विज्ञान ........

वास्तु विज्ञान का स्पष्ट अर्थ है चारों दिशाओं से मिलने वाली ऊर्जा तरंगों का संतुलन…। यदि ये तरंगें संतुलित रूप से आपको प्राप्त हो रही हैं, तो घर में स्वास्थ्य व शांति बनी रहेगी। अत: ढेरों वर्जनाओं में डरने की बजाय दिशाओं को संतुलित करें तो लाभ मिल सकता है।
निम्न निर्देशों का ध्यान रखें-
1. किचन दक्षिण-पूर्व में, मास्टर बैडरूम दक्षिण-पश्चिम में, बच्चों का बैडरूम उत्तर-पश्चिम में और शौचालय आदि दक्षिण में हों।
2. पानी की निकासी उत्तर में हो, ईशान (उत्तर-पूर्व) खुला हो, दक्षिण-पश्चिम दिशा में भारी सामान हो।
3. मुख्य दरवाजा अन्य दरवाजों से बड़ा और भारी हो।
4. खि‍ड़कियाँ व दरवाजे सम संख्या में हों व पूर्व या उत्तर में खुलें।
5. तीन दरवाजे एक सीध में न हों, दरवाजे बंद करते या खोलते समय आवाज न हो।
6. पूजा के लिए ईशान कोण हो या भगवान का मुख ईशान में हो।
7. उत्तर या पूर्व में तुलसी का पौधा लगाएँ।
8. पूर्वजों के फोटो पूजाघर में न रखें, दक्षिण की दीवार पर लगाएँ।
9. शाम को घर में सांध्यदीप जलाएँ। आरती करें।
10. इष्टदेव का ध्यान और पूजन अवश्य करें।
11. भोजन के बाद जूठी थाली लेकर अधिक देर तक न बैठें। न ही जूठे बर्तन देर तक सिंक में
रखें।
12 .घर में तुलसी का पौधा उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखें |
13.घर के मुख्यद्वार के सामने सीढ़ियाँ कभी न बनाएँ। सीढ़ियाँ गिनती में 5, 7, 11, 13, 17, 21 होनी चाहिए।
14 .मकान की छत पर घर के पुराने, बेकार या टूटे -फूटे समान को न रखें। घर की छत हमेशा साफ़-सुथरी होनी चाहिए।
15 . अपने घर में हिंसा वाले चित्र कभी न लगाएं। आपके घर में कहीं भी विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिम दिशा के कोने में, हिंसा से संबंधित कोई भी चित्र या पेंटिंग नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह कोना रिश्तों से संबंधित होता है।
16 . अपने घर या दफ्तर में बंद पड़ी घड़ियों को तुरंत हटा देना चाहिए, जितनी जल्दी हो सके इनसे छुटकारा पा लेना चाहिए, क्योंकि ये बहुत नुकसानदेह हैं। इन टूटी-फूटी या बंद घड़ियों से नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है, जो हानिकारक होती है।
वास्तु की इन छोटी-छोटी बातों को याद रखकर सरलता से जीवन में आने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है और जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है।

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