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Showing posts from June, 2016

नक्षत्रों की सहायता से खोई हुई वस्तु का पता लगाए

सात -सात नक्षत्रों के चार समूह में २८ नक्षत्रों को बांटकर इन्हे अंध, मन्द लोचन ,मध्य लोचन और सुलोचन कहते है।  नक्षत्रों की नेत्रअनुरूप जो संज्ञा होती है उसके अनुरुप प्रश्न का फल विचारा जाता है।   प्रथम समूह                         द्वितीय समूह                         तृतीय समूह                          चतुर्थ समूह  रोहिणी                                  मृगशिरा                                  आर्द्रा                                      पुनर्वसु  पुष्य                 ...

नजर लगने पर

किसी को भी नजर लग गई हो, खाना पीना छूट गया हो, अस्वस्थ रहने लगा हो तो चौराहे की रेत लाये , राइ  व सात साबुत लाल मिर्ची मिलकर शनिवार व  रविवार को तीनो समय सूर्य अस्त के समय उस व्यक्ति के ऊपर से घुमाकर चूल्हे में डाल दे तो उसकी नजर उतर जाएगी।  नजर लगे व्यक्ति के ऊपर चारो ओर से फिटकरी का टुकड़ा घुमाकर चूल्हे में डाल दे। तीन दिन लगातार तीनो समय करे व्यक्ति स्वस्थ हो जाएगा।  हाथी की लीद को चांदी के यंत्र में भरकर छोटे बच्चों के गले में पहना दे , तो उस बच्चे को नजर का दोष नहीं लगेगा।  भुत - प्रेत व नजर से बचने के लिए बच्चों के गले में काले रंग के धागे में रुद्राक्ष , चांदी का चन्द्रमा , ताम्बे का सूर्य , शेर का नाख़ून आदि पहनते है।  गांवों में रविवार या शनिवार के दिन नजर लगे व्यक्ति के ऊपर से तीन बार दूध उतारकर एक मिटटी क ढक्कन में रखकर कुत्ते को दे देते है।  भवन निर्माण के समय भवन के ऊपर बाहरी भाग को काजल से पोतकर घड़ा टांग देने से भावना को नजर नहीं लगती।  गोबर के बनाए गए छोटे दीपक में गुड का टुकड़ा, तेल और रुई की बत्ती डालकर दरवाजे में रखने स...

वास्तु विज्ञान ........

वास्तु विज्ञान का स्पष्ट अर्थ है चारों दिशाओं से मिलने वाली ऊर्जा तरंगों का संतुलन…। यदि ये तरंगें संतुलित रूप से आपको प्राप्त हो रही हैं, तो घर में स्वास्थ्य व शांति बनी रहेगी। अत: ढेरों वर्जनाओं में डरने की बजाय दिशाओं को संतुलित करें तो लाभ मिल सकता है। निम्न निर्देशों का ध्यान रखें- 1. किचन दक्षिण-पूर्व में, मास्टर बैडरूम दक्षिण-पश्चिम में, बच्चों का बैडरूम उत्तर-पश्चिम में और शौचालय आदि दक्षिण में हों। 2. पानी की निकासी उत्तर में हो, ईशान (उत्तर-पूर्व) खुला हो, दक्षिण-पश्चिम दिशा में भारी सामान हो। 3. मुख्य दरवाजा अन्य दरवाजों से बड़ा और भारी हो। 4. खि‍ड़कियाँ व दरवाजे सम संख्या में हों व पूर्व या उत्तर में खुलें। 5. तीन दरवाजे एक सीध में न हों, दरवाजे बंद करते या खोलते समय आवाज न हो। 6. पूजा के लिए ईशान कोण हो या भगवान का मुख ईशान में हो। 7. उत्तर या पूर्व में तुलसी का पौधा लगाएँ। 8. पूर्वजों के फोटो पूजाघर में न रखें, दक्षिण की दीवार पर लगाएँ। 9. शाम को घर में सांध्यदीप जलाएँ। आरती करें। 10. इष्टदेव का ध्यान और पूजन अवश्य करें। 11. भोजन के बाद जूठी थाली लेकर ...

राहू-चंद्रमा के योग का फल—

1. प्रथम भाव- में हो तो खर्च दोष, दाँत का देरी से आना एवं धन संचय का योग बनता है। 2. द्वितीय भाव- में खुद के परिश्रम से धन प्राप्त करना, खाने के शौकीन होना एवं बचपन में कष्ट पाने का योग बनता है। 3. तृतीय भाव- में राहू-चंद्र की युति से शांत प्रकृति वाले, प्रसिद्धि पाने वाले एवं दाहिने कान में तकलीफ की संभावना आती है। 4. चतुर्थ भाव- में जन्मभूमि से दूर जाना पड़ता है, मेहनत से प्रगति करते हैं । दान की प्रवृत्ति अधिक होती है।राकेश गुप्ता 5. पंचम भाव- में राहू-चंद्र का ग्रहण जातक को बुद्धिमान, ईश्वर भक्त और कामी बनाता है। 6. छठे भाव- में शरीर निरोगी रहता है। शत्रु बहुत उत्पन्न होते हैं, लेकिन जल्दी ही समाप्त हो जाते हैं। मातृपक्ष की चिंता होती है। 7. सप्तम भाव- में ग्रहण योग दाम्पत्य जीवन को अच्छा करता है। व्यापार में हानि का योग बनता है, पलायनवादी दृष्टिकोण को जन्म देता है। 8. आठवें भाव- में राहू-चंद्र की युति से अल्पायु में प्रसिद्धि मिलती है, स्त्री से धन प्राप्त होता है, आर्थिक हानि उठाना पड़ती है। 9. नौवें भाव- में संतान की प्रगति होती है, लंबे प्रवास का योग बनता है, धार्मिक कार्य क...

बच्चे का जन्म किस पाये में ........

किसी परिवार में बच्चे का जन्म होना परिवार में वंश वृद्धि का परिचायक है १ बच्चे के जन्म के साथ ही बच्चे की स्वस्थता जानने के उपरांत सबसे पहले सबका यही प्रश्न होता है कि बच्चे का जन्म किस पाये में हुआ है। शास्त्रों में मुख्य रूप से चार पायों का वर्णन मिलता है :- 1. चांदी का पाया 2. ताँबे का पाया 3. सोने का पाया 4. लोहे का पाया हर पाये में जन्मे बालक का शुभाशुभ फल भिन्न होता है। बालक/बालिका का जन्म किस पाये में हुआ है, ये निम्न विधि से आसानी से जाना जा सकता है। जन्म पत्रिका में लग्न से चन्द्रमा किस भाव में है ये देखा जाता है जैसे :- जन्म लग्न से चन्द्रमा यदि पहले, छठे या ग्यारहवें भाव में हो तो बच्चे का जन्म सोने के पाये में हुआ है। यदि दो, पांच या नौवें भाव में चन्द्रमा है तो बच्चे का जन्म चाँदी के पाये में हुआ है। जन्म लग्न से चन्द्रमा यदि तीसरे , सातवें या दसवें भाव में हो तो बच्चे का जन्म ताम्बे के पाये में हुआ है। जन्म लग्न से चन्द्रमा यदि चौथे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो बच्चे का जन्म लोहे के पाये में हुआ है । इस तरीके से कुंडली में देखकर आसानी से बताया ...

जानिए आपको मिल रहे संकेतों का मतलब ....

आइये आज इन संकेतों के विषय में जानकारी प्राप्त करते है. और आपसे भी अनुरोध है कि इसके अतिरिक्त यदि और भी कोई संकेत आपके जीवन में घटित हुए हो और उसकी सच्चाई पर आपको विशवास हो तो कृपया मुझे मेल या कमेंट्स कर के भेज सकते है. आपका स्वागत है. १:- आपका कार्य होगा या नहीं ? या कब तक होगा ? इस विषय में प्रकृति ने जो संकेत दिए है वो यह है कि मध्य रात्री के पश्चात गाय को आप २ बार आवाज दें. गाय आपकी पाली हुई भी हो सकती है.या फिर एनी भी हो तो कोई बात नहीं है. आपके आवाज देने पर यदि गाय रम्भावे तो निश्चय ही आपका कार्य होगा. न रम्भाने पर आपका कार्य नहीं होगा. पुनः यदि एक बार रम्भावे तो यह कार्य १ दिन, १ सप्ताह या फिर एक माह के अंदर होगा.इसी प्रकार गाय के रम्भाने की संख्या के आधार पर उत्तर प्राप्त कर सकते है. गाय को आवाज देने से पहले आप अपना प्रश्न मन में भली भांत से सोच कर रखे. एक प्रश्न से ज्यादा प्रश्न एक बार या एक रात्री में न करें दूसरे प्रश्न के लिए कोई दुसरा दिन चयन करें तो आशातीत सफलता प्राप्त होती है. २:- आप किसी से मिलने जा रहे है तो घर से निकलते ही आपके बिलकुल सामने कि ओर से कोई महिला...

आप अपने कार्य-क्षेत्र के अनुसार भी रुद्राक्ष धारण का सकते हैं

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कुछ लोगों के पास जन्म कुंडली इत्यादि की जानकारी नहीं होती वे लोग अपने कार्यक्षेत्र के अनुसार भी रुद्राक्ष का लाभ उठा सकते हैं । कार्य की प्रकृति के अनुरूप रुद्राक्ष-धारण करना कैरियर के सर्वांगीण विकास हेतु शुभ एवं फलदायी होता है। किस कार्य क्षेत्र के लिए कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसका एक संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है। नेता-मंत्री-विधायक सांसदों के लिए - 1 और १४ मुखी। प्रशासनिक अधिकारियों के लिए - 1 और १४ मुखी। जज एवं न्यायाधीशों के लिए - २ और १४ मुखी। वकील के लिए - ४, ६ और १३ मुखी। बैंक मैनेजर के लिए - ११ और १३ मुखी। बैंक में कार्यरत कर्मचारियों के लिए - ४ और ११ मुखी। चार्टर्ड एकाउन्टेंट एवं कंपनी सेक्रेटरी के लिए - ४, ६, ८ और १२ मुखी। एकाउन्टेंट एवं खाता-बही का कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए - ४ और १२ मुखी। पुलिस अधिकारी के लिए - ९ और १३ मुखी। पुलिस/मिलिट्री सेवा में काम करने वालों के लिए - ४ और ९ मुखी। डॉक्टर एवं वैद्य के लिए - १, ७, ८ और ११ मुखी। फिजीशियन (डॉक्टर) के लिए - १० और ११ मुखी। सर्जन (डॉक्टर) के लिए - १०, १२ और १४ मुखी। नर्स-केमिस्ट-कंपा...

जब आप हो परेशान पैसों की कमी से

अगर आप के घर में आमदनी अच्छी होने के बावजुद भी हमेशा धन की कमी बनी रहती हो। पैसा टिकता ना हो तो नीचे लिखे वास्तु उपाय अपनाएं। इन उपायों से आपके घर में लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास करने लगेगी। घर के उत्तर पूर्व में शीशे की बोतल में जल भरकर रखने से तथा इस जल का सेवन एक दिन पश्चात करने से घर वालों का स्वास्थ्य सही रहता है। सुबह एवं शाम सम्पूर्ण घर में कपूर का धुंआ लगाने से वास्तु दोषों में कमी आती है। भवन का मध्य भाग खुला रखने से परिवार में सभी सदस् य मेल जोल से रहते हैं। धन लाभ के लिये चारदीवारी की दक्षिणी एवं पश्चिमी दीवार उत्तर एवं पूर्व से ऊंची एवं मजबूत रखें। घर के उत्तर में द्वार व खिड़कियाँ रखना से धनागमन होता है। भूखण्ड के उत्तर पूर्व में अण्डरग्राउण्ड पानी का टैंक रखने से स्थिर व्यवसाय एवं लक्ष्मी का वास होता है। उत्तर पूर्व के अण्डरग्राउण्ड टैंक से रोजाना पानी निकाल कर पेड़ पौधे सीचने से धन वृद्धि होती है। भवन के उत्तर पूर्व का फर्श सबसे नीचा होना चाहिए तथा दक्षिण पश्चिम का फर्श सबसे ऊंचा रखने से आय अधिक, व्यय कम रहता है। भूखण्ड के उत्तर में चमेली के तेल का दीपक जलाने से धन ला...

सुलेमानी हकीक पत्थर के लाभ

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काला जादू ख़त्म करता है और बुरी नज़र से बचाव करता है | नौकरी और व्यवसाय में आ रही अड़चनो को दूर करता है । सुलेमानी हकीक को धारण करने के बाद लोग आपकी तरफ आकर्षित होने लगते है और आपको महत्त्व देने लगते है । सुलेमानी हकीक एक ऐसा चमत्कारी पत्थर है जो आपको लोगो की बुरी नजर से बचा कर रखता है । आपका व्यवसाय काला जादू या टोना - टोटका की वजह से मंदा चल रहा है तो सुलेमानी हकीक पत्थर उसका काट कर देता है और व्यवसाय में बढ़ोतरी होती है । अगर घर में बरकत नही होती है तो बरकत होने लगती है | अगर आपके शत्रु ज़्यादा है या आपका शत्रु आपको परेशान करता है या आप पर जादू टोना करवाता है तो आपका उसके किए हुए जादू टोना से बचाव करता है और आपके शत्रु को परास्त करता है | आपका शत्रु आपके सामने शक्तिहीन हो जाता है | अगर आपकी सेहत सही नही रहती है आप बार बार बीमार होते है तो आपको सुलेमानी हकीक धारण करना चाहिए उस से आपकी सेहत में काफ़ी अच्छा सुधार होगा | सुलेमानी हकीक राहु, केतु और शनि द्वारा आ रही बाधाओ को दूर करता है और व्यक्ति को सफलता मिलने लगती है | आपको सुलेमानी हकीक शनिवार को धारण करना है व मध्यमा उंगली (mi...

विदेश यात्रा

यदि आप ज्योतिष विधा के अंतर्गत जन्म कुंडली के भावों की थोड़ी भी जानकारी रखते हैं तो आप जल्द ही यह विश्लेषण समझ जाएंगे। ज्योतिथष शास्त्रा के अनुसार वितदेश यात्रा की स्िवि तिग को जातक की जन्म कुंडली के पाप ग्रहों यानी शनि, राहु, केतु और मंगल से जाना जाता है।कुंडली में चौथे और बारहवें घर या उनके स्वामियों का संबंध यानी उस घर में स्थिबत राशिल के स्वामी से विदेश में स्थायी रूप से रहने का सबसे बड़ा योग बनता है। इस योग के साथ चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव आवश्यक हैl यानी उस घर में कोई भी पाप ग्रह स्ि्थ त हो या उसकी दृष्टि हो। लेकिन इन सभी भावों और उनमें स्थित ग्रहों के कैसे प्रभाव से विदेश यात्रा का कौन सा कारण उत्पन्न होता है, यह जानना चाहेंगे आप? अर्थात आप नौकरी के लिए, व्यवसाय के लिए, हमेशा बस जाने के लिए या केवल घूमने के लिए विदेश जाएंगे, यह कैसे पता चलेगा? आगे की स्लाइड्स में जानिए.. ज्योतिषियों के अनुसार यदि किसी जातक की जन्म कुंडली के सप्तम और बाहरवें भाव या उनके स्वामियों का परस्पर सम्बन्ध हो, तो जातक विवाह के बाद विदेश जाता है।विवाह के बाद विदेश जाने के भी दो तरीके ज्योतिषियों...

शनि की साढ़े साती के तीन चरण

शनि साढेसाती में शनि तीन राशियों पर गोचर करते है. तीन राशियों पर शनि के गोचर को साढेसाती के तीन चरण के नाम से भी जाना जाता है. अलग- अलग राशियों के लिये शनि के ये तीन चरण अलग - अलग फल देते है. शनि कि साढेसाती के नाम से ही लोग भयभीत रहते है. जिस व्यक्ति को यह मालूम हो जाये की उसकी शनि की साढेसाती चल रही है, वह सुनकर ही व्यक्ति मानसिक दबाव में आ जाता है. आने वाले समय में होने वाली घटनाओं को लेकर तरह-तरह के विचार उसके मन में आने लगते है. शनि क ी साढेसाती को लेकर जिस प्रकार के भ्रम देखे जाते है. वास्तव में साढेसाती का रुप वैसा बिल्कुल नहीं है. आईये शनि के चरणों को समझने का प्रयास करते है- साढेसाती चरण-फल विभिन्न राशियों के लिये साढेसाती का प्रथम चरण- वृ्षभ, सिंह, धनु राशियों के लिये कष्टकारी होता है. द्वितीय चरण या मध्य चरण- मेष, कर्क, सिंह, वृ्श्चिक, मकर राशियों के लिये अनुकुल नहीं माना जाता है. व अन्तिम चरण- मिथुन, कर्क, तुला, वृ्श्चिक, मीन राशि के लिये कष्टकारी माना जाता है. इसके अतिरिक्त तीनों चरणों के लिये शनि की साढेसाती निम्न रुप से प्रभाव डाल सकती है- प्रथम चरण इस चरणावधि में...
नमस्ते। ... में नरेश शास्त्री। ....में एक ज्योतिषी ओर वास्तु विशेषज्ञ हु।  ..मेने  ये ब्लॉग आपकी सेवा ओर आपकी समस्या के समाधान के लिए बनाया हे। ...इसलिए आप मेरे द्वारा भेजे गए पोस्ट को पढ़े और समझे और आपकी कोई समस्या हो तो आप मुझे कमेंट कर सकते हे। 
बृहस्पति ग्रह ज्ञान के कारक होते है।धनु और मीन ग्रह के स्वामी हैं।वृहस्पति ग्रह ख़राब होने से कौन कौन सी बीमारियां होती है? कैसे होता गुरु खराब?  घर में हवा आने वाले रास्ते यदि खराब हैं तो गुरु भी खराब हो जाएगा। दक्षिण का द्वार भी ‍गुरु के खराब होने की निशानी है। ईशान कोण यदि दूषित है तो गुरु भी खराब हो जाएगा। कुछ लोग किसी बाबा या गुरु के प्रभाव में आकर अपने विचारों को दूषित कर लेते हैं। कुछ लोग माला आदि पहने लग जाते हैं या दाढ़ी बढ़ा लेते हैं तो उनका गुरु खराब हो जाता है। जिनके सिर पर चोटी के स्थान से बाल उड़ जाते हैं, तो समझो उनका गुरु खराब है। आपका अपने पिता से विवाद चलता रहता है तो भी गुरु खत्म हो जाएगा। व्यक्ति अकारण झूठ बोलता रहता है तो भी गुरु अपना अच्छा असर देना बंद कर देता है। शराब पीने और मांस खाते रहने से भी कुंडली में गुरु नष्ट हो जाता है। 2, 5, 9, 12वें भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह हों या शत्रु ग्रह उसके साथ हों तो बृहस्पति मंदा होता है। यदि बृहस्पति कुंडली की उच्च राशि के अलावा 2, 5, 9, 12वें भाव में हो तो भी शुभ होता है, लेकिन लोग अपने कर्मों से इसे अशुभ कर लेते है...