केमद्रुम योग का फल

यदि किसी जन्म कुंडली में चन्द्रमा से प्रथम, द्वितीय अथवा द्वादश ( १,२, १२वे ) स्थान में कोई ग्रह स्थित न हो, तो केमद्रुम नामक अशुभ योग बनता है। 
इस योग के फलस्वरूप जातक को विद्या, बुद्धि और सुखो में कमी रहती है। जातक वृथा बोलने वाला, धर्म विरुद्ध आचरण करने वाला, आर्थिक परेशानी, पारिवारिक सुखो में कमी, विदेश में विचरण करने वाला तथा  सुख शांति में कमी, वृथा भय अनुभव करने वाला, निंदित कर्म में रत, परन्तु दीर्घायु होता है। 

Comments

Popular posts from this blog

शनि की साढ़े साती के तीन चरण

कुछ महत्वपूर्ण एवं अचूक टोटके

सुलेमानी हकीक पत्थर के लाभ