गोल योग - यदि सूर्यादि सभी ग्रह ( राहु - केतु को छोड़कर ) एक ही भाव ( राशि ) में हो,तो गोल नामक योग होता है। इस योग के फलस्वरूप जातक चंचल बुद्धि, उच्च विद्या में विघ्न, निति नीतियों का विचार न करने वाला, अपना लक्ष्य सिद्ध करने में कुशल, कठोर व हिंसक कार्यो में रूचि, गुप्त युक्तियों में प्रवीण होता हे। ऐसा जातक गुप्तचर विभाग, पुलिस अथवा सेना के कार्यो में सफल होता है। युग योग - यदि जन्मकुंडी में ( राहु - केतु को छोड़कर ) सभी सात ग्रह दो भावो ( २ राशि ) में ही स्थित हो, तो यह योग बनता हे, इस योग में जन्म लेने वाले जातक का जीवन अत्यन्त संघर्ष एवं कठिनाइयों से भरा होता है। ऐसा जातक चंचल स्वभाव वाला, मदिरा, तम्बाकू आदि व्यसन में लगा हुआ, धर्म कार्यो से विमुख तथा आर्थिक द्रष्टि से परेशान रहने वाला होता है, संतान आदि का सुख भी कम ही मिलता है। शूल योग - यदि कुंडली में तीन भावो में ( ३ राशि ) में ( राहु - केतु को छोड़ कर ) ही सात गृह से शूल योग बनता है। इस योग में जन्मा जातक साहसी, दयालु, परोपकारी किन्तु कुछ क्रोधी, कठोर एवं तीक्ष्ण स्वभाव क...